UDP Full Form in Hindi: नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका एक और नए हिंदी ब्लॉग में जिसमें हम आपको बताने वाले हैं UDP Protocol क्या है, UDP प्रोटोकॉल काम कैसे करता है, UDP प्रोटोकॉल की विशेषताएं क्या हैं, UDP प्रोटोकॉल के उपयोग क्या है, UDP तथा TCP प्रोटोकॉल में अंतर क्या है और UDP के फायदे व नुकसान क्या हैं.
अगर आप UDP के विषय में उपरोक्त सभी जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ें. हम अपने ब्लॉग में अभी तक आपको अनेक प्रकार के प्रोटोकॉल के बारे में बता चुकें हैं, यह लेख भी प्रोटोकॉल की सीरीज का ही है. अगर आप प्रोटोकॉल को अच्छे से समझना चाहते हैं तो आपको सभी प्रकार के प्रोटोकॉल के विषय में जानकारी होनी आवश्यक है.
तो चलिए आपका अधिक समय न लेते हुए शुरू करते हैं इस लेख को और जानते हैं UDP प्रोटोकॉल क्या है हिंदी में.
UDP क्या है (What is UDP in Hindi)
UDP यानी User Datagram Protocol एक कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल है जिसका इस्तेमाल इंटरनेट पर दो एप्लीकेशन या डिवाइस के बीच डेटा ट्रान्सफर करने के लिए किया जाता है. इस प्रोटोकॉल को 1980 में David P Reed के द्वारा RFC768 के रूप में विकसित किया गया था.
UDP एक अविश्वसनीय और कनेक्शन रहित प्रोटोकॉल है, इसलिए इसमें डेटा ट्रान्सफर करने से पहले कनेक्शन की जरुरत नहीं होती है. UDP को TCP (Transmission Control Protocol) के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
UDP प्रोटोकॉल में यह आवश्यक नहीं होता है कि डेटा प्राप्तकर्ता के पास उसी Sequence में पहुंचेगा जिस Sequence में डेटा भेजा गया है. UDP में Data packet को Data-gram कहते हैं, इसमें कोई गारंटी नहीं होती है कि Sender के द्वारा भेजा गया पूरा डेटा प्राप्तकर्ता के पास पहुंचे, कुछ Data-gram मध्य में नष्ट भी हो सकता है.
UDP में डेटा ट्रांसमिशन की स्पीड अधिक होती है. इसलिए यह समय के साथ – साथ बैंडविड्थ की भी बचत करता है. UDP इंटरनेट प्रोटोकॉल Suite (IP) का एक हिस्सा होता है जिसे कि UDP/IP भी कहा जाता है.
UDP का फुल फॉर्म क्या है (UDP Full Form in Hindi)
UDP का फुल फॉर्म User Datagram Protocol है. हिंदी में इसे “डेटाग्राम प्रोटोकॉल उपयोगकर्ता” कहते है.
यूडीपी हैडर क्या है (UDP Header In Hindi)
UDP हैडर एक सरल हैडर है जो 8 बाइट का होता है. UDP के पोर्ट 16 बिट लंबे होते हैं इसलिए इन पोर्ट नंबरों की सीमा को 0 से 65535 तक रखा जाता है, जिसमें कि पोर्ट नंबर 0 को reserved रखा जाता है. पोर्ट नंबर अलग – अलग यूजर के अनुरोधों को अलग रखते हैं.
UDP Header में 4 फील्ड होते हैं –
1 – Source Port – सोर्स पोर्ट 2 Byte लंबा फील्ड होता है जिसका इस्तेमाल सोर्स के पोर्ट नंबर की पहचान के लिए किया जाता है.
2 – Destination Port – यह भी 2 Byte लंबा फील्ड है जिसका इस्तेमाल डेटा पैकेट की डेस्टिनेशन की पहचान करने के लिए किया जाता है.
3 – Length – यह एक 16 बिट का फील्ड होता है जो कि हेडर और डेटा सहित यूडीपी की लंबाई है.
4 – Checksum – यह 2 Bytes लंबा फील्ड होता है जो कि Sender के द्वारा डेटा पैकेट Send करने से पहले Generate की गयी Checksum Value को स्टोर करता है.
UDP काम कैसे करता है (How Does UDP Work in Hindi)
UDP एक कंप्यूटर से दुसरे कंप्यूटर में डेटाग्राम प्राप्त करने के लिए IP एड्रेस का इस्तेमाल करती है. UDP एक UDP पैकेट में डेटा को Collect करके पैकेट जानकारी को अपने हैडर में जोड़ता है.
इस डेटा में Source और Destination पोर्ट होते हैं, जिन पर संचार करना होता है साथ ही पैकेट की लंबाई और एक चेकसम भी होता है. UDP पैकेट को IP पैकेट में encapsulated करने के बाद उसे Destination के लिए भेज दिया जाता है.
हालांकि TCP के विपरीत UDP इस बात की गारंटी नहीं देता है कि डेटा पैकेट सही Destination पर पहुंचेंगे.
UDP की विशेषताएं (Feature of UDP in Hindi)
UDP प्रोटोकॉल की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं –
- UDP एक कनेक्शन रहित प्रोटोकॉल है, इसमें डाटा ट्रान्सफर करने के लिए कनेक्शन की जरुरत नहीं होती है.
- UDP एक तेज प्रोटोकॉल है जो डेटा को बहुत तेजी से ट्रान्सफर करने में असमर्थ है.
- UDP एक अविश्वसनीय प्रोटोकॉल है यह डेटा डिलीवरी की कोई गारंटी नहीं देता है.
- UDP का उपयोग लेन – देन आधारित प्रोटोकॉल जैसे DNS, BOOTP आदि के लिए किया जाता है.
- UDP में डेटा सेगमेंट में केवल Checksum होता है.
UDP के अनुप्रयोग (UDP Application in Hindi)
UDP के कुछ प्रमुख अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं –
- UDP का इस्तेमाल उन एप्लीकेशन में किया जा सकता है जिनके लिए Lossless डेटा ट्रांसमिशन की आवश्यकता होती है.
- गेमिंग, Voice, विडियो जैसे एप्लीकेशन में UDP प्रोटोकॉल का इस्तेमाल होता है.
- Multicasting एप्लीकेशन में UDP का इस्तेमाल किया जा सकता है.
- रियल टाइम एप्लीकेशन में UDP का इस्तेमाल किया जाता है.
UDP और TCP प्रोटोकॉल में अंतर
UDP और TCP प्रोटोकॉल के बीच प्रमुख अंतर को हमने नीचे सारणी के द्वारा आपको बताया है –
UDP प्रोटोकॉल | TCP प्रोटोकॉल |
---|---|
UDP का पूरा नाम User Datagram Protocol है. | TCP का पूरा नाम Transmission Control Protocol है. |
UDP प्रोटोकॉल एक कनेक्शन रहित प्रोटोकॉल है, इसमें संचार करने वाली डिवाइस के बीच कनेक्शन स्थापित नहीं करना पड़ता है. | TCP प्रोटोकॉल Connection Oriented प्रोटोकॉल है. इसमें संचार करने वाली डिवाइस के बीच कनेक्शन स्थापित करना आवश्यक होता है. |
UDP प्रोटोकॉल की स्पीड बहुत फ़ास्ट होती है. | TCP प्रोटोकॉल UDP की तुलना में धीमा है. |
UDP अविश्वसनीय प्रोटोकॉल है. | TCP विश्व्शीय प्रोटोकॉल है. |
UDP के हैडर का आकार 8 Byte होता है. | TCP के हैडर का आकार 20 byte होता है. |
UDP में मैसेज के डिलीवर होने का कोई क्रम नहीं होता है. | TCP में मैसेज डिलीवर का एक क्रम होता है. |
UDP में डेटा डिलीवर की गारंटी नहीं होती है. | TCP में डेटा डिलीवर की गारंटी होती है. |
UDP का इस्तेमाल DNS, RIP, BOOTP आदि में होता है. | TCP का इस्तेमाल HTTP, HTTPS, FTP, SMTP आदि में होता है. |
UDP के फायदे (Advantage of UDP in Hindi)
UDP प्रोटोकॉल के कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित हैं –
- TCP की तुलना में UDP प्रोटोकॉल बहुत फ़ास्ट होता है.
- UDP प्रोटोकॉल बहुत सरल और संचार के लिए उपयोगी है.
- UDP में डेटा ट्रांसमिशन के लिए कनेक्शन बनाने की जरुरत नहीं होती है.
- चैटिंग, ऑनलाइन गेम जैसे रियल टाइम एप्लीकेशन UDP प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करते हैं.
- UDP के द्वारा Broadcast और Multicast ट्रांसमिशन कर सकते हैं.
- UDP कनेक्शन को ज्यादा मेन्टेन करने की जरुरत नहीं होती है.
- UDP के इस्तेमाल से बैंडविड्थ को कम किया जा सकता है.
UDP के नुकसान (Disadvantage of UDP in Hindi)
UDP प्रोटोकॉल के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं –
- UDP एक अविश्वसनीय प्रोटोकॉल है
- UDP में ऐसा कोई Feature मौजूद नहीं है जिससे यह पता किया जा सके कि डेटा को प्राप्त कर लिया गया है.
- UDP error का पता तो कर सकता है लेकिन error को Specify करने में असमर्थ है.
- UDP कनेक्शन में इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है कि डेटा उसी क्रम में पहुंचेगा जिस क्रम में इसे भेजा गया है.
- UDP पूर्ण डेटा डिलीवरी की भी कोई गारंटी नहीं देता है.
FAQ: UDP प्रोटोकॉल क्या है
UDP का पूरा नाम User Datagram Protocol है.
यूजर डाटा ग्राम प्रोटोकॉल (UDP) एक कम्युनिकेशन नेटवर्क प्रोटोकॉल है, जो इंटरनेट पर दो डिवाइस के बीच कनेक्शन रहित तरीके से डेटा ट्रान्सफर करने का कार्य करता है.
UDP हैडर का आकार 8 Byte होता है.
UDP का इस्तेमाल DNS, RIP, BOOTP, गेमिंग एप्लीकेशन, चैटिंग एप्लीकेशन आदि में किया जाता है.
UDP प्रोटोकॉल का अविष्कार 1980 में David P Reed ने किया.
इन्हें भी पढ़े
- URL क्या है इसके प्रकार
- आईपी एड्रेस क्या है इसके प्रकार
- Ethernet क्या है इसके प्रकार
- मैक एड्रेस क्या है इसके प्रकार
- नेटवर्क हब क्या है इसके प्रकार
- रिपीटर क्या है कैसे काम करता है
- नेटवर्क प्रोटोकॉल क्या है इसके प्रकार
- ब्लूटूथ क्या है और कैसे काम करता है
- नेटवर्क ब्रिज क्या है कैसे काम करता है
- Network Switch क्या है इसके प्रकार
- Firewall क्या है प्रकार, कैसे काम करता है
आपने सीखा: युडीपी प्रोटोकॉल क्या है हिंदी में
आज के इस लेख के माध्यम से हमने आपको UDP Protocol Kya Hai In Hindi, UDP प्रोटोकॉल काम कैसे करता है, UDP प्रोटोकॉल की विशेषताएं, UDP प्रोटोकॉल के उपयोग, UDP के फायदे तथा नुकसानों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया है. अगर आपने लेख को अच्छे से पढ़ा है तो जरुर आपके UDP से लेकर सभी संशय दूर हो गए होंगे.
उम्मीद करते है आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख जरुर पसंद आया होगा, इस लेख को आप सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें, और अभी भी आपके मन में UDP से लेकर कोई प्रशन हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं.