Preference Share In Hindi: शेयर मार्केट से जुड़े कुछ ऐसे छोटे – छोटे टर्म होते हैं जो आपके निवेश की समझ को बेहतर बनाते हैं, उन्हीं में से एक टर्म है Preference Share. यह एक ऐसा टर्म है जिसके बारे में नए निवेशक बहुत कम ही जानते हैं लेकिन अगर आप वास्तव में शेयर मार्केट से पैसे कमाना चाहते हैं तो आपको Preference Share क्या है के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए.
कोई भी कंपनी जब शेयर जारी करती है तो वह मुख्य रूप से दो प्रकार के शेयर जारी करती है, एक Equity और दूसरा Preference शेयर. प्रेफरेंस शेयर स्टॉक मार्केट में ट्रेड नहीं किये जाते हैं, इन शेयर को केवल कम्पनी के चुनिंदा निवेशकों और प्रोमोटरों को दिए जाते हैं.
जब कम्पनी को कम समय में अधिक पैसे की आवश्यकता होती है तो वह प्रेफरेंस शेयर जारी करती है. प्रेफरेंस शेयर के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको इस लेख को अंत तक पढना होगा.
इस लेख में आपको जानने को मिलेगा कि Preference Share क्या है, प्रेफरेंस शेयर कितने प्रकार के होते हैं, प्रेफरेंस शेयर के फायदे व नुकसान क्या हैं तथा प्रेफरेंस शेयर और इक्विटी शेयर में क्या अंतर है.
तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं हम आज के इस लेख – प्रेफेरेंस शेयर क्या है इन हिंदी.
Preference Share (पूर्वाधिकार अंश) ऐसे शेयरों को कहा जाता है जिसे कोई कंपनी अपने चुनिंदा निवेशकों और प्रमोटरों के लिए जारी करती है. जिन निवेशकों के पास कंपनी के प्रेफरेंस शेयर होते हैं उन्हें प्रेफरेंस शेयर होल्डर कहा जाता है.
प्रेफरेंस शेयर को इक्विटी शेयर से सुरक्षित माना जाता है, अगर कंपनी डूबने के कगार पर होती है तो प्रेफरेंस शेयर होल्डर को सबसे पहले भुगतान किया जाता है और प्रेफरेंस शेयर होल्डर को कंपनी के लाभ में से एक निर्धारित Dividend Rate मिलती है.
जिस प्रकार से इक्विटी शेयर होल्डर कंपनी के वास्तविक मालिक होते हैं, उस प्रकार प्रेफरेंस शेयर होल्डर कंपनी के वास्तविक मालिक नहीं होते हैं, उनके पास कंपनी की बस नाम की हिस्सेदारी होती है. प्रेफरेंस शेयर होल्डर को कंपनी में किसी भी प्रकार के वोटिंग राईट नहीं मिले होते हैं.
प्रेफरेंस शेयर जारी करने के पीछे कंपनी का मकसद होता है कि कम समय में ज्यादा पैसा इकठ्ठा कर सके, इसलिए प्रेफरेंस शेयर में Wealthy Investor, बड़े – बड़े वित्तीय संस्थाएं, म्यूच्यूअल फण्ड आदि ही निवेश करते हैं.
Preference Share को हिंदी में वरीयता शेयर (पूर्वाधिकार अंश) कहा जाता है. प्रेफरेंस शेयर धारकों को इक्विटी शेयर धारकों के मुकाबले पूंजी के भुगतान में वरीयता दी जाती है.
Preference Share विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, चलिए एक नजर प्रेफरेंस शेयर के प्रकार पर भी डाल लेते हैं.
इस प्रकार के शेयर में यदि कम्पनी किसी वित्तीय वर्ष में लाभ नहीं कमाती है, तथा अगले वर्ष में लाभ में आ जाती है तो इस स्थिति में निवेशक को दोनों वर्षों का लाभांश प्राप्त होता है.
इस प्रकार के शेयर में यदि कंपनी को किसी एक वित्तीय वर्ष में फायदा नहीं होता है, तो निवेशक को उस वर्ष का लाभांश भी प्राप्त नहीं होता है.
परिवर्तनीय प्रेफरेंस शेयर में एक निश्चित समय अवधि के बाद शेयर धारक के विकल्प के आधार पर कम्पनी इन शेयरों को इक्विटी शेयर में भी बदल सकती है.
इस प्रकार के प्रेफरेंस शेयर शेयरों को इक्विटी शेयर में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है.
इस प्रकार के शेयर धारकों को कंपनी एक निश्चित समय अवधि के बाद उनकी पूंजी लाभांश के साथ लौटा देती है. इस प्रकार के शेयर धारक कंपनी के साथ ज्यादा समय के लिए जुड़े नहीं रहते हैं.
इस प्रकार के शेयर धारकों की पूंजी का भुगतान करने की एक निश्चित समय अवधि नहीं होती है. हालांकि जब कंपनी Liquidation हो जाती है तो कंपनी को पूंजी का भुगतान करना होता है.
इक्विटी शेयर और प्रेफरेंस शेयर में अंतर
इक्विटी शेयर और प्रेफरेंस शेयर में लोगों के अनेक सारे Doubt होते हैं, इसलिए हमने नीचे एक सारणी के द्वारा इन दोनों शेयरों के बीच अंतर को स्पष्ट रूप से बताया है.
मुख्य बिंदु | Equity Share (इक्विटी शेयर) | Preference Share (प्रेफेरेंस शेयर) |
---|---|---|
Dividend (लाभांश) | कंपनी के हर प्रकार के शेयर धारकों को लाभांश देने के बाद अंत में इक्विटी शेयर धारकों को लाभांश दिया जाता है. इनका कोई फिक्स अमाउंट नहीं होता है. | प्रेफरेंस शेयर होल्डरों को लाभांश सबसे पहले मिलता है. इनको एक निर्धारित दर पर लाभांश मिलता है. |
Trading (लेन – देन) | इक्विटी शेयर स्टॉक मार्केट में ट्रेड होते हैं. इक्विटी शेयर होल्डर मार्केट में अपने शेयरों की लेन – देन कर सकते हैं. | प्रेफरेंस शेयर स्टॉक मार्केट में ट्रेड नहीं होते हैं, जिस कारण प्रेफरेंस शेयर होल्डर अपने शेयरों को मार्केट में नहीं बेच सकते हैं. |
Liquidation (कम्पनी बंद होने की स्थिति में) | कम्पनी के बंद होने की स्थिति में इक्विटी शेयर होल्डर को सबसे अंत में भुगतान किया जाता है. यदि सब को भुगतान करने के बाद कम्पनी के पास पैसा बचता है तभी इक्विटी शेयर होल्डर को भुगतान होता है, नहीं तो कुछ भी नहीं दिया जाता है. | कंपनी बंद होने की स्थिति में प्रेफरेंस शेयर होल्डर को इक्विटी शेयर होल्डर से पहले भुगतान किया जाता है. |
Voting Right (वोट देने का अधिकार) | इक्विटी शेयर होल्डर को कम्पनी में वोटिंग का अधिकार दिया जाता है. | प्रेफरेंस शेयर होल्डर को सामान्य तौर पर वोटिंग राइट्स नहीं मिलते हैं. |
Risk (जोखिम) | इक्विटी शेयर होल्डर को सबसे अधिक जोखिम रहता है, क्योंकि इसमें न तो निर्धारित रेट पर पैसा मिलता है और कंपनी के डूबने पर पैसा मिलने की कोई गारंटी नहीं होती है. | प्रेफरेंस शेयर होल्डर को सबसे कम जोखिम रहता है, क्योंकि इसमें लाभांश भी निर्धारित दर पर मिलता है और कम्पनी के डूबने पर सबसे पहले पैसा मिलता है. |
Redemption (प्रतिदान) | इक्विटी शेयर होल्डर जब तक कंपनी चलते रहती है कंपनी से पैसा वापस नहीं ले सकते हैं. | प्रेफरेंस शेयर में शेयर की मैच्योरिटी का समय लिखा होता है. |
Profit (कम्पनी को फायदा मिलने पर ) | अगर कंपनी को अधिक फायदा होता है तो इक्विटी शेयर होल्डर को भी अधिक फायदा मिलता है, क्योंकि इसमें लाभांश की कोई निर्धारित दर नहीं होती है. | चूँकि प्रेफरेंस शेयर होल्डर के लिए लाभांश की एक निश्चित दर रहती है, इसलिए कम्पनी को अधिक फायदा मिलने पर भी उन्हें उसी दर के साथ लाभांश मिलता है, इसलिए उन्हें इक्विटी शेयर होल्डर से कम फायदा होता है |
प्रेफरेंस शेयर के फायदे
प्रेफरेंस शेयर होल्डरों को निम्न फायदे मिलते हैं.
- प्रेफरेंस शेयर धारकों को अन्य शेयर धारकों की तुलना में कम जोखिम रहता है.
- प्रेफरेंस शेयर धारकों को को एक निर्धारित दर पर डिविडेंड मिलता है.
- कम्पनी के डूबने पर प्रेफरेंस शेयर धारकों को भुगतान सबसे पहले किया जाता है.
- प्रेफरेंस शेयर होल्डर को भुगतान करने में पहले वरीयता दी जाती है.
प्रेफरेंस शेयर के नुकसान
प्रेफरेंस शेयर होल्डरों को कुछ नुकसान भी होते हैं जो कि निम्न प्रकार से हैं –
- प्रेफरेंस शेयर धारकों को कम्पनी में किसी भी प्रकार के वोटिंग राईट नहीं मिले होते हैं.
- प्रेफरेंस शेयर धारक अपने शेयरों को स्टॉक मार्केट में बेच नहीं सकते हैं.
- प्रेफरेंस शेयर होल्डर कम्पनी के वास्तविक मालिक नहीं होते हैं, वे कंपनी के किसी भी निर्णय में शामिल नहीं हो सकते हैं.
- अगर कम्पनी मार्केट में अधिक लाभ कमाती है तो भी प्रेफरेंस शेयर धारकों को निर्धारित दर पर भी लाभांश मिलता है.
प्रेफरेंस शेयर से सम्बंधित सामान्य प्रश्न
प्रेफरेंस शेयर का हिंदी मतलब वरीयता शेयर होता है. कम्पनी के लाभांश या किसी भी देनदारी में प्रेफरेंस शेयर होल्डर को पहले वरीयता दी जाती है.
जी नहीं प्रेफरेंस शेयर होल्डर के पास वोटिंग के अधिकार नहीं होते हैं.
इक्विटी शेयर में अधिक जोखिम रहता है, क्योंकि अगर कम्पनी को फायदा नहीं मिलता है तो इक्विटी शेयर होल्डर को किसी भी प्रकार का डिविडेंड नहीं मिलता है और पैसों की देन दारी में भी सबसे अंतिम भुगतान इक्विटी शेयर होल्डर को किया जाता है.
इन्हें भी पढ़े
- Best Trading App In India Hindi
- फुल सर्विस ब्रोकर क्या है हिंदी में
- ट्रेडिंग अकाउंट क्या है कैसे बनाए
- इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है और कैसे करें
- डिस्काउंट ब्रोकर क्या है इसके फायदें
- Upstox क्या है इससे पैसे कैसे कमाए
- SIP क्या है इससे करोडपति कैसे बनें
- Lump Sum निवेश क्या है और कैसे करे
- Demat Account क्या है फ्री कैसे खोलें
- म्यूच्यूअल फण्ड क्या है इसमें निवेश कैसे करें
- डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है इसमें शेयर कैसे खरीदें
- Groww App क्या है इसमें Demat अकाउंट कैसे खोलें
हमें पूरी उम्मीद है कि इस लेख को पढने के बाद आप लोग समझ गए होंगे कि Preference Share Kya Hai In Hindi और यह किस प्रकार से इक्विटी शेयर से अलग है. अगर अभी भी आपके कोई प्रशन हैं शेष हैं तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं, हम जल्द ही आपके जवाबों को देने की कोशिस करेंगे.
और अंत में अगर आपको इस लेख से कुछ सीखने को मिला है तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें, और इसी प्रकार के Valuable लेख पढने के लिए हमारे ब्लॉग में आते रहिये.