EPS Full Form In Hindi: जब आप शेयर मार्केट में निवेश करना शुरू करते हैं तो आपको ऐसे – ऐसे टर्म सुनने को मिलते हैं जिनका नाम आप पहली बार सुन रहे होते हैं, कई बार नए निवेशक इन टर्म को इग्नोर कर देते हैं लेकिन आपको बता दें शेयर मार्केट में इस्तेमाल होने वाला शब्द बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. शेयर मार्केट के अंदर इन्हीं में से एक टर्म EPS भी है जिसकी मदद से आप किसी भी शेयर के प्रॉफिट का पता कर सकते हैं.
आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको इसी EPS के बारे में बताने वाले हैं, इस लेख में आपको जानने को मिलेगा कि EPS क्या है, EPS Full Form, EPS के प्रकार, EPS की गणना कैसे करते हैं और EPS का उपयोग कहाँ किया जाता है, यह लेख हर एक निवेशक तथा शेयर मार्केट के बारे में सीखने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए EPS को समझने के लिए लेख को अंत तक जरुर पढ़ें.
तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं आज का यह ब्लॉग पोस्ट और जानते हैं शुरुवात से EPS क्या होता है हिंदी में.
ईपीएस का पूरा नाम (EPS Full Form In Hindi)
EPS का फुल फॉर्म Earning Per Share होता है जिसे कि हिंदी में प्रति शेयर आय कहा जाता है.
- EPS Full Form in English – Earning Per Share
- EPS का हिंदी मतलब – प्रति शेयर आय.
शेयर मार्केट में ईपीएस क्या है (EPS Kya Hai In Hindi)
शेयर मार्केट में EPS (Earning Per Share) एक ऐसा Ratio यानि कि अनुपात होता है जो बताता है कि किसी कंपनी का एक सामान्य शेयर एक निश्चित समय अवधि में कितना प्रॉफिट कमा रहा है. यानि कि कंपनी का एक शेयर आपको एक साल में कितना प्रॉफिट दे रहा है इसे ही EPS कहते हैं.
EPS यह बताता है कि कंपनी अपने स्टॉक के प्रत्येक शेयर के लिए कितना पैसा कमाती है, साधारण शब्दों में कहें तो कंपनी के कुल प्रॉफिट में अगर बाँट दिया जाय तो प्रत्येक शेयर के हिस्से में कितना प्रॉफिट आयेगा यही EPS है.
किसी कंपनी का EPS जितना अधिक होता है, उसे उतना ही अधिक लाभदायक माना जाता है. EPS की गणना आमतौर पर प्रत्येक वर्ष में होती है, कभी – कभी त्रिमासिक में भी EPS की गणना की जाती है.
EPS अनुपात टर्म का इस्तेमाल PE Ratio निकालने में किया जाता है.
EPS की गणना कैसे की जाती है?
प्रति शेयर आय (EPS) की गणना कंपनी के शुद्ध आय में से उसके स्टॉक में बकाया सामान्य शेयरों से भाग देकर की जाती है. लेकिन इसमें भी कंपनी के शुद्ध आय में से Preferred Dividend यानि पसंदीदा लाभांश को घटा दिया जाता है. क्योंकि यह लाभांश सामान्य शेयर धारकों को भुगतान नहीं किया जाता है बल्कि जो कंपनी के Preference शेयर धारक हैं उन्हें भुगतान किया जाता है.
EPS की गणना निम्नलिखित सूत्र के द्वारा की जाती है –
- प्रति शेयर आय (EPS) = (शुद्ध आय – पसंदीदा लाभांश) / बकाया सामान्य शेयर.
एक उदाहरण से देखते हैं, माना किसी कंपनी का एक वित वर्ष में Net Profit यानि कि शुद्ध आय 11 लाख रूपये है, तथा इसमें से कंपनी ने 1 लाख रूपये अपने Preference शेयर होल्डर को Dividend के रूप में देना है. साल के अंत में कंपनी के कुल बकाया शेयर 10 हजार है, तो कंपनी का EPS होगा –
- (11,00,000 – 1,00,000 / 10,000) = 100
इस कंपनी का EPS 100 रूपये है, इसका मतलब है यह कंपनी एक वर्ष में अपने 1 शेयर से 100 रूपये कमाती है. अगर आपके पास इस कंपनी के 100 शेयर हैं तो आप सालाना इससे 10 हजार की कमाई कर रहे हैं.
ईपीएस के प्रकार (Types of EPS in Hindi)
EPS को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है –
- Basic EPS
- Diluted EPS
चलिए इन दोनों को भी अच्छे से समझ लेते हैं.
#1 – Basic EPS क्या है?
Basic EPS में कंपनी के Net Income को उसके बकाया शेयरों से विभाजित कर दिया जाता है, Basic EPS की गणना कंपनी के बकाया Equity Share को ध्यान में रखकर की जाती है. इसमें गणना में केवल सामान्य शेयरों को शामिल किया जाता है. हमने अभी तक ऊपर इस आर्टिकल में Basic EPS के बारे में ही बताया है.
Financial media में बेसिक ईपीएस सबसे ज्यादा report किया जाने वाला आंकड़ा है, और यह EPS की सबसे सरल परिभाषा भी है.
- बेसिक ईपीएस को निकालने का सूत्र = (शुद्ध आय – पसंदीदा लाभांश) / बकाया सामान्य शेयर.
#2 – Diluted EPS क्या है?
Diluted EPS में कंपनी के Net Income को उसके सभी बकाया शेयर जिसमें कि सामान्य शेयर, Employee Stock Option, Preferred Share, वारंट आदि शामिल हैं, से विभाजित कर दिया जाता है. Diluted EPS की गणना करने के लिए सभी सामान्य शेयरों के साथ परिवर्तनीय शेयरों को भी शामिल किया जाता है.
Diluted EPS को निम्नलिखित सूत्र से निकला जाता है –
- Diluted EPS = (शुद्ध आय – पसंदीदा लाभांश) / बकाया सामान्य शेयर + सभी परिवर्तनीय शेयर.
ईपीएस का उपयोग (Uses of EPS in Hindi)
आर्टिकल को यहाँ तक पढने पर आप समझ गए होंगें कि शेयर मार्केट में EPS क्या है और EPS की गणना कैसे की जाती है. अब आपके मन में एक सवाल यह भी आ रहा होगा कि EPS का उपयोग आखिर कहाँ किया जाता है, चलिए इसके बार में भी जान लेते हैं –
- EPS को देखकर कंपनियों की आर्थिक स्थिति का आंकलन किया जाता है, अगर किसी कंपनी का EPS प्रतिवर्ष बढ़ रहा है तो इसका मतलब है कि कंपनी अच्छा प्रॉफिट कमा रही है.
- कंपनी के पिछले कुछ वर्षों के EPS के देखकर निवेशक फैसला कर सकते हैं कि उन्हें कंपनी ने निवेश करना चाहिए या नहीं.
- EPS के द्वारा एक ही सेक्टर की अलग – अलग कंपनियों की तुलना की जा सकती है.
- EPS से पता चलता है कि कंपनी का एक शेयर कितने की कमाई कर रहा है.
शेयर मार्केट में EPS एक अनुपात होता है जिसके द्वारा पता किया जाता है कि किसी भी कंपनी का एक शेयर एक वितीय वर्ष में कितना प्रॉफिट कमा के दे रहा है.
EPS की फुल फॉर्म Earning Per Share होता है.
EPS निकालने के लिए कंपनी के Net Income को कुल बकाया शेयरों से विभिजित कर दिया जाता है. इस कैलकुलेशन के बाद हमें किसी भी कंपनी की EPS Value मिल जाती है.
किसी भी कंपनी का EPS चेक करने के लिए आप कंपनी के Profit And Loss स्टेटमेंट को चेक कर सकते हैं, लगभग सभी कंपनियां अपने Basic और Diluted EPS की जानकारी इसमें देती है. इसके अलावा आप Internet पर Monrycontrol जैसी वेबसाइट से भी कंपनी का EPS चेक कर सकते हैं.
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निष्कर्ष: ईपीएस क्या है पूरी जानकारी हिंदी में
EPS के द्वारा किसी भी कम्पनी के आर्थिक स्थिति का पता लगाया जा सकता है, अगर किसी कंपनी का EPS हर वर्ष गिरता है तो इसका मतलब है उस कंपनी पर भारी संकट आने वाला है और अगर किसी कंपनी का EPS हर वर्ष बढ़ता है तो इसका मतलब है कंपनी हर साल मार्केट में अच्छा प्रदर्शन कर रही है.
EPS निवेशकों के निवेश संबंधी निर्णय लेने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. इसलिए हमने आपको EPS के बारे में कम्पलीट इनफार्मेशन दी है. यदि इस लेख से आपको कोई परेशानी आती है तो आप अपनी समस्या को कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अगर आपको यह लेख “Earning Per Share In Hindi” पसंद आया तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें.