कंप्यूटर वायरस क्या है इसके प्रकार और कैसे ढूंढा जाता है – Computer Virus In Hindi

Computer Virus In Hindi: जिस भी व्यक्ति को कंप्यूटर के बारे में थोड़ी – बहुत जानकारी होगी उसने कंप्यूटर वायरस के बारे में कभी न कभी जरुर सुना होगा. किसी भी कंप्यूटर के लिए वायरस हानिकारक होते हैं. कंप्यूटर में वायरस के आ जाने से कंप्यूटर की कार्यगति और कार्यक्षमता दोनों पर प्रभाव पड़ता है.

क्या आप जानना चाहते हैं Computer Virus क्या है, कंप्यूटर वायरस कितने प्रकार का होता है, सबसे पहला कंप्यूटर वायरस कौन सा था, कंप्यूटर वायरस आने के कारण और कैसे आप कंप्यूटर वायरस को ख़त्म कर सकते हो.

अगर आप कंप्यूटर वायरस से जुडी उपरोक्त सारी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ें. इस लेख में आपको कंप्यूटर वायरस के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा.

तो चलिए बिना समय गंवाए शुरू करते हैं इस लेख को और जानते हैं कंप्यूटर वायरस क्या होता है हिंदी में.

सामग्री की तालिका

कंप्यूटर वायरस क्या होता है (What is Computer Virus in Hindi)

कंप्यूटर वायरस एक विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होते हैं जिन्हें कंप्यूटर को हानि पहुँचाने के उद्देश्य से बनाया जाता है. यह वायरस यूजर की अनुमति के बिना ही कंप्यूटर को संक्रमित कर डेटा को Delete कर देता है और नुकसान पहुंचाता है. इसे मालवेयर (malware) और एडवेयर (adware) भी कहा जाता है.

कंप्यूटर वायरस नेटवर्क की मदद से एक कंप्यूटर से दुसरे में फैलता जाता है. कंप्यूटर में वायरस के आ जाने से यूजर को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कंप्यूटर वायरस कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के अंतर्गत आते हैं. वायरस को भी एक प्रोग्रामर कोडिंग के द्वारा बनाता है.

कंप्यूटर वायरस का इतिहास (History of Computer Virus in Hindi)

सबसे पहला कंप्यूटर वायरस 1970 के दशक में ARPANET में खोजा गया था जिसका नाम क्रीपर (creeper) था और इसे Bob Thomas ने बनाया था. Bob Thomas एक इंजिनियर थे और उस समय वे BBN Technologies में कार्यरत थे.

क्रीपर एक experimental program था जिसे कि Bob Thomas ने ARPANET के mainframes को संक्रमित करने के लिए किया था. यह वायरस कंप्यूटर को संक्रमित करके स्क्रीन पर एक मैसेज दिखाता था – “I’m the creeper: Catch me if you can.”

Elk cloner पहला wild कंप्यूटर वायरस था जिसे 1982 में Richard Skrenta के द्वारा Develop किया गया था. Richard Skrenta उस समय 10 वीं कक्षा के छात्र थे. Elk cloner ने सबसे पहले Apple II ऑपरेटिंग सिस्टम को संक्रमित किया था. इस वायरस को फ्लॉपी डिस्क में स्टोर किया गया था.

Elk Cloner कंप्यूटर को संक्रमित करने के बाद स्क्रीन पर एक मैसेज दिखता था – ” Elk Cloner: The program with a personality”. हालाँकि इस वायरस को Richard Skrenta ने एक मजाक के तौर पर बनाया था.

इस प्रकार के हानिकारक प्रोग्राम को 1983 में Fred Cohen नामक व्यक्ति ने कंप्यूटर वायरस का नाम दिया था. उन्होंने अपने अकादमिक पेपर में इन हानिकारक प्रोग्राम को “Computer Viruses – Theory and Experiments” टाइटल दिया था जिसमें उन्होंने इस वायरस के बारे में पूरी जानकारी लिखी थी.

कंप्यूटर वायरस के प्रकार (Type of Computer Virus in Hindi)

 कंप्यूटर वायरस अनेक प्रकार के हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रकार के वायरस के बारे में हमने आपको इस लेख में आगे बताया है –

#1 – Network Virus (नेटवर्क वायरस)

नेटवर्क वायरस इंटरनेट और LAN के द्वारा फैलते हैं. इन वायरस को बनाने का उद्देश्य और कार्य होता है कि नेटवर्क को Slow करना. इस प्रकार के वायरस एक नेटवर्क की performance को ख़राब कर देते हैं. एक बार नेटवर्क में ये वायरस फ़ैल जाते हैं तो नेटवर्क कनेक्शन को स्थापित करना बहुत मुश्किल होता है.

#2 – Web Scripting Virus (वेब स्क्रिप्टिंग वायरस)

Web Scripting Virus सबसे अधिक प्रचलित कंप्यूटर वायरस हैं. ये विज्ञापनों, लिंक, इमेज, ऑडियो, विडियो आदि के साथ attach रहते हैं. जब यूजर इन पर क्लिक करता है तो यह डाउनलोड होने लग जाते हैं और यूजर के कंप्यूटर में पहुँच जाते हैं. जब ये वायरस कंप्यूटर में पहुँच जाते हैं तो कंप्यूटर की performance ख़राब होने लगती है.

#3 – Boot Sector Virus (बूट सेक्टर वायरस)

ये वायरस फ्लॉपी डिस्क या हार्ड डिस्क के बूट सेक्टर में मौजूद रहते हैं. जब संक्रमित डिस्क से कंप्यूटर को बूट किया जाता है तो ये वायरस कंप्यूटर में पहुँच जाते हैं. अगर ये वायरस कंप्यूटर में आ जाते हैं तो कंप्यूटर को स्टार्ट होने में बहुत समय लगता है. क्योंकि ये वायरस ऑपरेटिंग सिस्टम पर अटैक करते हैं जिससे ऑपरेटिंग सिस्टम लोड होने में अधिक समय लेता है.

#4 – Overwrite Virus (ओवरराईट वायरस)

इस प्रकार के वायरस कंप्यूटर में Save File को Overwrite कर देता है मतलब कि कंप्यूटर में Save File को डेटा को मिटाकर अपने कोड को डाल देता है जिससे कि फाइल को पहचानना मुश्किल होता है और फाइल किसी काम की नहीं रह जाती है. जब ये वायरस कंप्यूटर में प्रवेश कर जाते हैं तो संक्रमित फाइल को डिलीट करना पड़ता है.

#5 – Browser Hijacker (ब्राउज़र हाई जेकर)

इस प्रकार के वायरस वेब ब्राउज़र को Hijack कर लेते हैं. ये यूजर की अनुमति के बिना ही ब्राउज़र की सेटिंग में हेर – फेर कर देते हैं जिससे कि यूजर किसी संक्रमित वेबसाइट पर पहुँच जाता है. जब ये वायरस कंप्यूटर में प्रवेश कर जाते हैं तो यूजर Address Bar में अलग URL type करता है और वह दूसरी वेबसाइट पर पहुँच जाता है. Browser Hijacker वायरस कंप्यूटर में आ जाने से आपको अधिक विज्ञापन दिखाई देते हैं.

कंप्यूटर में वायरस कैसे आता है

अभी तक आप समझ गए होंगे कि Computer क्या होता है, अब आपके मन में यह सवाल जरुर आ रहा होगा कि आखिर किसी कंप्यूटर में वायरस कैसे आता है. आइये जानते हैं इसे भी.

कंप्यूटर में वायरस आने के कुछ प्रमुख कारण निम्न हो सकते हैं –

  • इन्टरनेट एक बहुत बड़ा नेटवर्क है जिससे दुनिया के लगभग सभी कंप्यूटर जुड़े रहते हैं. ऐसे में इन्टरनेट से वायरस आने के सबसे ज्यादा संभावना होती है. जब भी आप इन्टरनेट पर काम करते हैं तो कोई ऐसी फाइल को डाउनलोड कर लेते हैं जो कि कंप्यूटर के लिए हानिकारक होती है. वायरस बनाने वाले प्रोग्रामर कुछ लुभावने एडवर्टाइजमेंट दिखाकर लोगों से वायरस को डाउनलोड करवा लेते हैं. जैसे कि यहाँ क्लिक करने से आप मोबाइल जीत सकते हो या पैसे जीत सकते हो.
  • अगर आप किसी संक्रमित वेबसाइट से कोई फाइल डाउनलोड करते हैं तो भी कंप्यूटर वायरस आने का खतरा रहता है.
  • कुछ प्रोग्रामर ईमेल में वायरस attach करके भेज देते हैं जिसे खोलने पर यूजर के कंप्यूटर में वायरस आ जाते हैं.
  • जब आप किसी और के कंप्यूटर या पैन ड्राइव को अपने कंप्यूटर से कनेक्ट करके डेटा ट्रान्सफर करते हैं तो इस स्थिति में भी वायरस आने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है. 

कंप्यूटर वायरस के प्रभाव या लक्षण

अगर आपके कंप्यूटर में वायरस आ जाता है तो इसके प्रभाव से कंप्यूटर में अनेक प्रकार की समस्याएं आ जाती हैं इन लक्षणों की मदद से आप पता लगा सकते हैं कि आपके कंप्यूटर में वायरस है कि नहीं.

  • कंप्यूटर की performance बहुत धीमी हो जाती है. किसी भी प्रोग्राम को ओपन होने में अधिक समय लगता है.
  • आपके कंप्यूटर से कुछ फाइल स्वतः ही डिलीट हो जाती है.
  • कंप्यूटर को स्टार्ट करने में समस्या आ सकती है.
  • बार – बार कोई error messages देखने को मिल सकता है.
  • आपके अकाउंट से ईमेल स्वतः ही भेजे जाते हैं.
  • ऐसे एप्लीकेशन आपके कंप्यूटर में आ जाती हैं जिन्हें आपने डाउनलोड ही नहीं किया.
  • स्क्रीन पर बार – बार Pop – up का आना.
  • कंप्यूटर सिस्टम अचानक Crash हो जाता है.

दुनिया के सबसे खतरनाक कम्प्यूटर वायरस की लिस्ट

यहाँ दुनिया के सबसे बेस्ट और खतरनाक कंप्यूटर वायरस की सूची दी गयी है.

  • रैंसमवेयर वायरस (Ransomware Virus)
  • कॉन्फिकर वायरस (Conficker Virus)
  • मेब्रोट वायरस (Mebroot Virus)
  • लीप वायरस (Leap Virus)
  • स्टॉर्म वर्म वायरस (Storm Worm Virus)
  • माई डूम वायरस (My Doom Virus)
  • बीस्ट ट्रोजन हॉर्स वायरस (Beast Trojan Horse Virus)
  • अन्ना कुर्निकोवा वायरस (Anna Kournikova virus)
  • आई लव यू वायरस (I love you Virus)

कंप्यूटर वायरस को रोकने का तरीका – कंप्यूटर वायरस से बचने के उपाय

आप निम्न कुछ तरीकों को अपनाकर कंप्यूटर वायरस को रोक व बचाव के उपाय कर सकते हैं –

  • एक प्रीमियम एंटीवायरस का इस्तेमाल करें.
  • इन्टरनेट से किसी विश्वशनीय वेबसाइट से ही थर्ड पार्टी एप्लीकेशन को डाउनलोड करें.
  • ऑपरेटिंग सिस्टम को अपडेट करते रहें.
  • लुभावने विज्ञापनों पर क्लिक करने से बचें.
  • अनावश्यक ईमेल में दिए गए फाइल या लिंक को ओपन करने से बचें
  • कंप्यूटर में External Storage Device को Connect करने से पहले ध्यान में रखें कि आपके पास एक अच्छा एंटीवायरस हो.
  • फाइल को शेयर करते समय सावधानी बरतें.

कंप्यूटर से वायरस कैसे हटायें

अगर आपके कंप्यूटर में वायरस आ गया है तो सबसे पहले उस कंप्यूटर को नेटवर्क से अलग कर दें. अगर आपके कंप्यूटर में एंटीवायरस इनस्टॉल है तो एंटीवायरस को अपडेट करके कंप्यूटर को फुल स्कैन पर लगा दें. यदि आपके पास लाइसेंस एंटीवायरस नहीं है तो एक प्रीमियम एंटीवायरस इनस्टॉल कर लीजिये.

हमेशा एक अच्छे एंटीवायरस का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि फ्री वाले एंटीवायरस आपके कंप्यूटर को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं.

कुछ एंटीवायरस जिनका आप इस्तेमाल कर सकते हो निम्नलिखित हैं –

  • Quick Heal Total Security (क्विक हेल टोटल सिक्यूरिटी)
  • McAfee Total Protection (मेक फी टोटल प्रोटेक्शन)
  • Kaspersky Internet Security (कस्पेरस्काई इंटरनेट सिक्यूरिटी)
  • Norton Security Standard (नॉर्टन सिक्यूरिटी स्टैण्डर्ड)
  • Guardian Total Security (गार्डियन टोटल सिक्यूरिटी)
  • K7 Total Security (के7 टोटल सिक्यूरिटी)

कंप्यूटर वायरस से सम्बंधित सामान्य प्रश्न

कंप्यूटर वायरस क्या होता है?

कंप्यूटर वायरस एक विशेष प्रकार का सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है जिसे कि कंप्यूटर को हानि पहुँचाने के उद्देश्य से बनाया जाता है.

सबसे पहला कंप्यूटर वायरस कौन सा था?

सबसे पहला कंप्यूटर वायरस creeper था जिसे 1970 में Bob Thomas ने Develop किया था.

कंप्यूटर में वायरस कैसे ढूंढा जाता है?

आप अपने कंप्यूटर में हो रही अनियमित गतिविधियों से पता लगा सकते हो कि आपके कंप्यूटर में वायरस है या नहीं. वायरस आने से कंप्यूटर की Performance Slow हो जाती है और यूजर की अनुमति के बिना फाइल डिलीट होती हैं और नयी एप्लीकेशन डाउनलोड हो जाती हैं.

इन्हें भी पढ़े 

आपने  सीखा: कंप्यूटर वायरस क्या है हिंदी में

कंप्यूटर वायरस एक कंप्यूटर के लिए बहुत हानिकारक होते हैं ये एक अच्छे कंप्यूटर सिस्टम सॉफ्टवेयर को कबाड़ बना देते हैं. लेकिन आप कुछ बातों का पालन करने आपने कंप्यूटर को वायरस से बचा सकते हैं. उम्मीद करते हैं आपको इस लेख को पढने के बाद समझ में आ गया होगा कि Computer Virus Kya Hai और यह कितने प्रकार का होता है. अगर आपको यह लेख पसंद आया तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें.

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